Ghazals of Jagjit-Chitra Singh
Price: | Rs.300.00 |
Detail Of Ghazals of Jagjit-Chitra Singh
ISBN | 815805794x |
Pages | 196 |
Language: | Hindi |
Size(in cm): | 9.0 inch X 6.0 inch cm |
Weight(in grams): | 230(approx) |
Description:
अनुक्रम
1
हँसके बोला करो, बुलाया करो
1
2
शायद मैं जिन्दगी की सहर लेके आ गया
4
3
बाद मुद्दत उन्हें देखकर यूँ लगा
6
4
किया है प्यार जिसे हमने ज़िंदगी की तरह
9
5
सदमा तो है मुझे भी कि तुझसे जुदा हूँ मैं
11
6
परेशाँ रात सारी है, सितारो तुम तो सो जाओ
14
7
झूठी सच्ची आस पे जीना कब तक आखिर
17
8
ये करें और वो करें, ऐसा करें वैसा करें
19
9
हज़ारों खाहिशें ऐसी कि हर खाहिश पे दम निकले
22
10
० ये कैसी मुहब्बत कहीं के फसाने
25
11
दिल ही तो है न संगो खिश्त
29
12
आह को चाहिए इक उम्र असर होने तक
31
13
दिन गुजर गया एतबार में
34
14
पत्थर के खुदा पत्थर के सनम, पत्थर के ही इनसां पाए हैं
39
15
शायद आ जाएगा साकी को तरस, अबके बरस
42
16
एक पुराना मौसम लौटा याद भरी पुरवाई भी
46
17
तुमने दिल की बात कह दी आज ये अच्छा हुआ
48
18
शाम से आँख में नमी सी है
50
19
आँखों में जल रहा है क्यों बुझता नहीं धुआँ
54
20
कुछ न कुछ तो जरूर होना
61
21
हम तो यूँ अपनी जिन्दगी से मिले
64
22
मैंने दिल से कहा, ऐ दीवाने बता
69
23
अपने चेहरे से जो जाहिर है छुपाएँ कैसे
71
24
गुलशन की फकत फूलों से नहीं
73
25
मिलकर जुदा हुए तो न सोया करेंगे हम
76
26
धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो
80
27
मौसम को इशारों से बुला क्यों नहीं लेते
84
28
खामोशी खुद अपनी सदा हो
86
29
अपने होठों पर सजाना चाहता हूँ
89
30
तुझसे मिलने की सजा देंगे तेरे शहर के लोग
93
31
इक ब्रराहमन ने कहा है कि ये साल अच्छा है
97
32
ये जो जिन्दगी की किताब है
100
33
कोई दोस्त है न रक़ीब है
102
34
सरकती जाए है रुख से नकाब आहिस्ता आहिस्ता
108
35
कल चौदवीं की रात थी, शब भर रहा चर्चा तेरा
108
36
जवानी के हीले हया के बहाने
113
37
या तो मिट जाइये या मिटा दीजिये
120
38
फोन कहता है मुहब्बत की जुबाँ होती है
126
39
जब किसी से कोई गिला रखना
132
40
० मैं भूल जाऊँ तुम्हें अब यही मुनासिब है
135
41
सुनते हैं कि मिल जाती है हर चीज़ दुआ से
139
42
बेसबब बात बढ़ाने की जरूरत क्या है
146
43
गरज बरस प्यासी धरती पर फिर पानी दे मौला
150
44
बहुत पहले से उन कदमों की आहट जान लेते हैं
153
45
आए हैं समझाने लोग
156
46
दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है
159
47
क् उम्र जलवों में बसर हो, ये जरूरी तो नहीं
164
48
बात निकलेगी तो फिर तलक जाएगी
171
49
मुँह की बात सुने हर दिल के दर्द को जाने कौन
174
50
तेरा चेहरा कितना सुहाना लगता है
177
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