Prithvi Men Gada Dhan Kahan ?
Price: | Rs.150.00 |
Detail Of Prithvi Men Gada Dhan Kahan ?
ISBN | 81-7681-050-9 |
Pages | 112 |
Language: | Hindi |
Product Code: | 1 |
Size(in cm): | 21*13.5 cm |
Weight(in grams): | 400(approx) |
Description:
अब से हजारों वर्ष पूर्व, सेफ (तिजोरी) लोहे की अलमारियां तथा बैंक लाकर्स नहीं थे। उस समय राजे-महाराजे व्यापारी तथा समुद्र-पार दूर देशों में व्यापार करने वाले बिजनेसमैन के पास अशर्फियों, मोहरों व हीरे-जवाहरात तथा जेवरात का अपार भण्डार रहता था आज की तरह उस काल में धन-संग्रह की कोई सीमा नहीं थी जिसके पास धन होता था, वह उसे सुरक्षित रूप से पहाड़ों की कन्दराओं घर की चैखट, दीवार के नीचे अथवा बाग-बगीचे में किसी वृक्ष की जटा या तालाब नोहरा या विशेष चिन्हित स्थान पर किसी पात्र में छिपाकर रखता था उसकी जानकारी अन्य किसी को नहीं होती थी। सारांश यह है कि पृथ्वी में धन गाढ़ कर रखा जाता था। उसी धन की जानकारी के लिए पुस्तक पढि़ये और फिर अपने भाग्य को चमकाइये। पुस्तक में दी गयी प्रयोग विधि किसी विशेषज्ञ से परामर्श करने के बाद ही अमल में लायें। इसकी लाभ हानि का संपूर्ण दायित्व प्रयोक्ता पर है।
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