Raag Kosha (A Dictionary of 1,438 Indian Ragas)
Price: | Rs.200.00 |
Detail Of Raag Kosha (A Dictionary of 1,438 Indian Ragas)
ISBN | 8185057346 |
Pages | 92 |
Language: | Hindi |
Size(in cm): | 9.5 inch X 6.5 inch cm |
Weight(in grams): | 140(approx) |
Description:
पद सूची
1
अब कैं सखि लेहु भगवान
13
2
अब धी कहौ कौन दर जाऊँ
15
3
अब मेरी राखौ लाज मुरारी
17
4
अब मैं नाच्यौ बहुत गुपाल
20
5
अब मैं जानी देह बुढ़ानी
22
6
अब मोहि सरन राखिये नाथ
25
7
अब हौं माया हाथ बिकानौं
28
8
अब हौं हरि सरनागत आयौ
30
9
अंत के दिन कौं हैं घनस्याम
32
10
अबिगतगति कछु कत न आवै
34
11
आजु हौं एकएक करि टरिहौं
36
12
ऐसे प्रभु अनाथ के स्वामी
38
13
क्यौं तू गोविंद नाम बिसारौ
41
14
कहन लागे मोहन मैयामैया
43
15
कहा कमी जाके राम धनी
45
16
कहा गुन बरनी स्याम तिहारे
48
17
कहावत ऐसे त्यागी दानि
51
18
काया हरि कैं काम न आई
53
19
काहू के कुल तन न बिचारत
56
20
कौन सुनै यह बात हमारी
58
21
खेलत नँदआँगन गोबिन्द
60
22
गुरु बिनु ऐसी कौन करै
62
23
गोकुल प्रगट भए हरि आइ
64
24
गोविन्द प्रीति सबनि की मानत
66
25
चरनकमल बंदौं हरिराइ
69
26
जग में जीवत ही कौ नातौ
71
27
जनम तौ ऐसेहिं बीति गयी
74
28
जसोदा हरि पालनैं झुलावै
76
29
जा दिन मन पंछी उड़ि जै है
79
30
जैसैं तुम गज कौ पाउँ छुड़ायी
81
31
जो धट अन्तर हरि सुमिरै
83
32
जौ हम भले बुरे तौ तेरे
85
33
जौ अपनी मन हरि सी राँचै
87
34
जौ तू रामनामधन धरतौ
89
35
जौ प्रभु मेरे दोष बिचारैं
92
36
जौ हरिब्रत निज उर न धरैगौ
95
37
ठाढ़ी कृश्नकृश्न यों बोलै
97
38
तजौ मन, हरिबिमुखनि की संग
99
39
तुम्हरैं भजन सबहि सिंगार
101
40
तुम्हारी भक्ति हमारे प्रान
103
41
तुम्हरी कृपा बिनु कौन उबारे
105
42
तुम तजि और कौन पै जाऊँ
108
43
तुम प्रभु मोसी बहुत करी
110
44
तिहारे आगैं बहुत नच्यौं
112
45
नर तैं जनम पाइ कह कीनौ
114
46
निबाही बाहँ गहे की लाज
116
47
प्रभु जु तुम हौ अन्तरजामी
113
48
प्रभु, तुम दीन के दुखहरन
121
49
प्रभु तेरी वचन भरोसौ साँचौ
123
50
प्रभु मेरे, मोसी पतित उधारौ
125
51
प्रभु हौं बड़ी बेर कौ ठाढ़ौ
127
52
प्रीतम जानि लेहु मन माही
129
53
बड़ी है रामनाम की ओट
131
54
बासुदेव की बड़ी बड़ाई
133
55
बिनती करत मरत हौं लाज
135
56
बिरवा जन्म लियौ संसार
137
57
बंदी चरनसरोज तिहारे
140
58
भक्तबछल प्रभु, नाम तुम्हारी
142
59
भजहु न मेरे स्याम मुरारी
144
60
भजि मन, नन्दनन्दनचरन
146
61
भरोसौ नाम कौ भारी
150
62
भावी काहू सौं न टरै
152
63
मन, तीसी किती कही समुझाइ
155
64
मन, तोसी कोटिक बार कही
157
65
माधौ सु मन मायाबस कीन्हौ
159
66
माधौ जू, मोहि काहे की लाज
161
67
मेरी मन अनत कहीं सुख पावै
163
68
मैया कबहिं बढ़ैगी चोटी
165
69
मैया मैं नहिं माखन खायो
167
70
मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो
169
71
मो सम कौन कुटिल खल कामी
172
72
मोसौ पतित न और हरे
174
73
मोसी बात सकुच तजि कहियै
176
74
मोहन के मुख ऊपर बारी
178
75
मोहि प्रभु तुमसौं होड़ परी
180
76
रखो मन सुमिरन कौ पछितायौ
182
77
राम न सुमर्यौ एक घरी
184
78
रे मन, अजहूँ क्यौं न सम्हारै
186
79
रे मन, आपु कौं पहिचानि
188
80
रे मन, गोबिंद के है रहियै
190
81
द रे मन, जग पर जानि ठगायौ
192
82
रे मन, रामं सौं करि हेत
194
83
रे सठ, बिनु गोबिंद सुख नाहीं
196
84
रे मन, समुझि सोचविचारि
198
85
लाज मेरी राखौ स्याम हरी
201
86
स्याम भजनबिनु कौन बड़ाई
203
87
सब तजि भाजऐ नदकुमार
205
88
सबै दिन एकैसे नहिं जात
207
89
बद सबै दिन गए विषय के हेत
210
90
दे सरन गए की, को न उबारच्यौ
213
91
हमारी तुमकी लाज हरी
215
92
दर हमारे निर्धन के धन राम
217
93
हमारे प्रभु औगुन चित न धरौ
219
94
हमैं नँदनन्दन मील लिये
221
95
हरि किलकत जसुमति की कनियाँ
222
96
हरि जू तुमतैं कहा न होइ
224
97
दक हरि तुम क्यी न हमारे आए
226
98
हरि, तुम बलि की छील क्या लीन्यौ
229
99
हरि, तेरौ भजन कियौ न जाइ
231
100
हरि दिन अपनौ को संसार
233
101
हरि बिन कोऊ काम न आबो
235
102
हरि बिन मीत नहीं कोउ तेरे
238
103
हरि सों ठाकुर और न जन कीं
240
104
हरि सी मीत न देख्यौ कोई
242
105
हृदय की कबहुँ न जरनि घटी
244
106
होठ मन, रामनाम को गाहक
246
107
हीं इक ई बात सुनि आई
248
108
है हरि भजन कौ परमान
250
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